I ahve written a new poem in Hindi. Pls visit the page Jeena Seekh Liya and leave your comments.
जरा सी आहट जो होती फ़िज़ां में,
मायूस चेहरे पे नकाब चढ़ा लेते,
होठों पर थिरका एक मुस्कान,
उठा सर दो कदम और चल लेते,
उनके जाने ने हमें जीना जो सीखाया,
जीना सीख लिया
जीना सीख लिया
जरा सी आहट जो होती फ़िज़ां में,
मायूस चेहरे पे नकाब चढ़ा लेते,
होठों पर थिरका एक मुस्कान,
उठा सर दो कदम और चल लेते,
उनके जाने ने हमें जीना जो सीखाया,
ग़मों को घोल हम हर ज़हर पी लेते। .............
Full Poem here : Jeena Seekh Liya
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